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Revision as of 14:01, 17 May 2021
09 - अन्ये व्याकरण-सम्बद्ध-विषयाः > 12 - छात्रैः विरचितानि करपत्राणि >
सार्वधातुकप्रकरणम् : अदन्तम् अङ्गम् - - भ्वादिगणः, दिवादिगणः, तुदादिगणः | |||||||
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सूत्रम् | अनुवृत्ति-सहितसूत्रम् | भ्वादि गण
कार्यम् |
भ्वादि गण निमित्तम् | दिवादि गण कार्यम् | दिवादि गण निमित्तम् | तुदादि गण कार्यम् | तुदादि गण निमित्तम् |
तिङ्शित् सार्वधातुकम्
(३.४.११३) |
धातोः परश्च तिङ्-शित् प्रत्ययः सार्वधातुकम् | | अ/अ/अ | शप् शित् अस्ति | अ/अ/अ | श्यन् शित् अस्ति | अ/अ/अ | श शित् अस्ति |
सार्वधातुकार्धधातुकयोः
(७.३.८४) |
इकः अङ्गस्य गुणः सार्वधातुकार्धधातुकयोः | | अ/अ/अ | शप् शित् अतः तिङ्शित् सार्वधातुकम् (३.४.११३) इत्यनेन सार्वधातुक सज्ञा | अ/न | श्यन् शित् अतः तिङ्शित् सार्वधातुकम् (३.४.११३) इत्यनेन सार्वधातुक सज्ञा |किन्तु श्यन् अपित् - सार्वधातुकमपित्, क्क्ङिति च - गुण निषेध: | अ/न | श शित् अतः तिङ्शित् सार्वधातुकम् (३.४.११३) इत्यनेन सार्वधातुक सज्ञा |किन्तु श अपित् - सार्वधातुकमपित्, क्क्ङिति च - गुण निषेध: |