9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/05a---sarvasandhiinAm-abhyAsaH: Difference between revisions

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<big>अयं सन्ध्यभ्यासपाठः  सुब्रह्मण्यमहोदयेन विरचितः ।</big>
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'''<big>अ. सन्धिं कुरुत  |  सन्धिः कः , सूत्रं किम् ,  एकस्मादधिकसूत्रस्य कार्यं भवति चेत्  तेषां क्रमः कः , अपि च तादृशः क्रमः किमर्थम् इत्येषु विषयेषु चिन्तनं कुरुत  |</big>'''
 
<big>१. वदति  +  इति  =</big>
 
<big>२. इति  +  अपि  =</big>
 
<big>३. कदा  +  अपि  =</big>
 
<big>४. न  +  एव =</big>
 
<big>५. यथा  +  इच्छा =</big>
 
<big>६. इति  +  उक्तवती =</big>
 
<big>७. का  +  अपि  =</big>
 
<big>८. समये  +  इमानि =</big>
 
<big>९. तेजस्वी  +  आगच्छति =</big>
 
<big>१०. न  +  इच्छति =</big>
 
<big>११. येन  +  अधुना =</big>
 
<big>१२. उत्  +  श्वासः =</big>
 
<big>१३. मम  +  औन्नत्यम् =</big>
 
<big>१४. यत्  +  जानामि =</big>
 
<big>१५. चिन्तयन्  +  अस्मि =</big>
 
<big>१६. सत्  +   मार्गः =</big>
 
<big>१७. सत्  +  शीलः =</big>
 
<big>१८. एतान्  +  चतुरः =</big>
 
<big>१९. अवदत्  +  शकुन्तला =</big>
 
<big>२०. अगच्छत्  +  हिरण्यकश्यपः =</big>
 
<big>२१. अहम्  +  करोमि =</big>
 
<big>२२. तमस्  +  च  + अज्ञानजम् =</big>
 
<big>२३. त्वम्  +  यथा =</big>
 
<big>२४. उत्  +  लङ्घनम् =</big>
 
<big>२५. अपश्यत्  +  श्यामम्  =</big>
 
<big>२६. गच्छन् + शेखरः  =</big>
 
<big>२७. वि + छेदः =</big>
 
 
 
'''<big>आ. पदविच्छेदं कुरुत  |  सन्धिः कः , सूत्रं किम् ,  एकस्मादधिकसूत्रस्य कार्यं भवति चेत्  तेषां क्रमः कः , अपि च तादृशः क्रमः किमर्थम् इत्येषु विषयेषु चिन्तनं कुरुत  |</big>'''
 
<big>१. महच्शैत्यम्</big>
 
<big>२. अस्म्यहम्</big>
 
<big>३. यावज्जीवनम्</big>
 
<big>४. अन्यत्रासीत्</big>
 
<big>५. तच्छक्यम्</big>
 
<big>६. गच्छल्‌ँलिखति</big>
 
<big>७. चिन्तनञ्च</big>
 
<big>८. भवांश्चलति</big>
 
<big>९. एतत्तस्मात्प्रागेवास्ति</big>
 
<big>१०. यल्लिङ्गम्</big>
 
<big>११. तदन्यत्र</big>
 
<big>१२. अवदच्शकुन्तलाम्</big>
 
<big>१३. किञ्चिच्चिन्तनम्</big>
 
<big>१४. तमश्चाज्ञानजम्</big>
 
<big>१५. तच्छ्रोतुमिच्छामि / तच्श्रोतुमिच्छामि</big>
 
<big>१६. करणीयङ्कार्यम्</big>
 
<big>१७. तथोपर्युक्तम्</big>
 
<big>१८. यस्याधारेणैतदुक्तम्</big>
 
<big>१९. चिन्तयन्नस्मि</big>
 
<big>२०. तच्शक्यम्</big>
 
<big>२१. यन्नास्ति</big>
 
<big>२२. तावन्मात्रं पठसि चेदुत्तीर्णा भवेः |</big>
 
<big>२३. सरस्वत्यद्यागच्छति |</big>
 
<big>२४. तस्यैव कार्यम् अहं करोमि |</big>
 
<big>२५. भवन्तः एताँश्चतुरः श्लोकान् पठन्तु |</big>
 
<big>२६. वणिक्छेखरः आपणान्नित्यं गृहङ्गच्छति |</big>
 
 
 
'''<big>इ. रक्तवर्णे यानि पदानि सन्ति तेषां सन्धिं कुरुत  |  सन्धिः कः , सूत्रं किम् ,  एकस्मादधिकसूत्रस्य कार्यं भवति चेत्  तेषां क्रमः कः , अपि च तादृशः क्रमः किमर्थम् इत्येषु विषयेषु चिन्तनं कुरुत  |</big>'''
 
<big>१. बालका: तत्र उपविशन्ति |</big>
 
<big>२. एतत् श्रुत्वा स: अहसत् |</big>
 
<big>३. कस्मिँश्चन वने एक: मृग: आसीत् |</big>
 
<big>४. तत्र उपस्थितं सुधाकरमाह्वयतु |</big>
 
<big>५. अगच्छत्  हरिणी गृहात् क्रोधेन |</big>
 
<big>६. करपत्राणि अध्यापिका अप्रेषयत् |</big>
 
<big>७. सर्वे एतान् त्रीन् पाठान् पठन्तु |</big>
 
<big>८. स: अपश्यत् श्यामम् |</big>
 
<big>९. भिक्षुकस्य गानं श्रुत्वा वनिक्  हसति  |</big>
 
<big>१०. वर्गसमये इमानि करपत्राणि सर्वेषां पुरत: स्यु: |</big>
 
<big>११. यत् मनसि आगतं तत् उक्तम् |</big>
 
<big>१२. व्यदारयत् डमरुम् |</big>
 
<big>१३. कुर्यात् श्लोकपठनम् |</big>
 
<big>१४. व्यासलेखनस्पर्धायां तावत् लिखति चेदपर्याप्तम् |</big>
 
<big>१५. त्वं यथा करोषि तथा अहं न करोमि |</big>
 
<big>१६. भवान् चालयति विमानम् |</big>
 
<big>१७. एते अत्र अद्य आगतवन्त: |</big>
 
<big>१८. एते अद्य अत्र  उपविशतः |</big>
 
<big>१९. तस्मिन् एव मार्गे एकः मृगः आसीत् |</big>
 
<big>२०. रिक्तस्थानेषु अलिखत् उत्तराणि एषा |</big>
 
<big>२१. तत्र एव आसीत् अद्य प्रातःकाले मम पुस्तकम् |</big>
 
<big>२२. सर्वे अत्र ऐन्द्रजालकं पश्यन्ति |</big>
 
<big>२३. एतत् कार्यं तया एव करणीयम्  |</big>
 
<big>२४. एतत् एव अहमिच्छामि |</big>
 
<big>२५. किञ्चित् चिन्तनं कुर्मः |</big>
 
<big>२६. तया अत्र स्थापितानि पूजाद्रव्याणि आनयतु |</big>
 
 
 
<big>ई. '''एतानि वाक्यानि उच्चैः पठत  |  तेषु कुत्र सन्धिः कृतः कुत्र वर्णमेलनं कृतम् इति अभिजानीत  |  यत्र सन्धिः कृतः तत्र सः सन्धिः कः , सूत्राणि कानि , तेषां क्रमः कः , अपि च तादृशः क्रमः किमर्थम् इत्येषु विषयेषु चिन्तनं कुरुत |'''</big>
 
<big>१. माता रमामुत्थापनायोपरि गतवती |</big>
 
<big>२. तस्माच्छ्यामाद् अहं पुस्तकं स्वीकृतवान् |</big>
 
<big>३. तस्य शैली का इत्यपि चिन्तयतु |</big>
 
<big>४. भवतोक्तमेतद्वाक्यमत्युत्तममस्ति |</big>
 
<big>५. सा एवमेवोक्तवती इत्यवदत् |</big>
 
<big>६. एकस्मादधिकवर्गेषूपविशति चेदतीवलाभदायकम् |</big>
 
<big>७. तस्यावगमनार्थमन्येषां विषयाणामवगमनमावश्यकम् |</big>
 
<big>८. यज्जानामि तन्नस्मरामीदानीम् |</big>
 
<big>९. तस्मान्नेच्छामि नेतुम्पुस्तकम्  |</big>
 
<big>१०. भवाँस्त्वां ताडयति किमर्थम् ?</big>
 
<big>११. यथोचितं वाक्यमुक्तवत्यूर्मिला |</big>
 
<big>१२. अद्य महच्छैत्यमस्ति |</big>
 
<big>१३. त्वव्ँवर्षऋतौ कुत्रासि ?</big>
 
<big>१४. मयोक्तं वाक्यमसमीचीनमासीत् |</big>
 
<big>१५. पुस्तकेऽप्येतदेवोदाहरणमस्ति |</big>
 
<big>१६. ’अहमद्यागमिष्यामि‘ इत्युक्तवतीन्दिरा |</big>
 
<big>१७. अस्य वर्गस्याहं चालकः अस्मि |</big>
 
<big>१८. एतत्कापि नाशृणोत् |</big>
 
<big>१९. एतन्मात्रमपि स: नेच्छति |</big>
 
<big>२०. सर्वेष्वालयेषु प्रसादः लभते |</big>
 
<big>२१. एतन्ममोपोद्घातम् |</big>
 
<big>२२. वर्गसमययिमानि ( वर्गसमय इमानि ) करपत्राणि सर्वेषां पुरत: स्यु: |</big>
 
<big>२३. तत्पुस्तकं तत्रैवासीत्प्रात:काले |</big>
 
<big>२४. सर्वेऽत्रोपविशन्तीत्यध्यापिकयोक्तम् |</big>
 
<big>२५. तस्माच्श्यामाद् अहं पुस्तकं स्वीकृतवान् |</big>
 
<big>२६. यत्तेनोक्तन्तदसमीचीनम् |</big>
 
<big>२७. कृष्णवर्णेऽत्र लिखितमस्ति |</big>
 
<big>२८. मम पार्श्व एते उपविष्टवत्यौ |</big>
 
<big>२९. तस्य शैलि अहं न जानामि |</big>
 
 
 
<big>अयं विसर्गसन्ध्यभ्यासपाठः सुमन्-भगिन्या , वंशीसुधा-भगिन्या च कृतः ।</big>
 
 
 
<big>'''उ.  भाट्टसूत्राणाम् अनुसृत्य पदविच्छेदं कुरुत''' ।  </big>
 
<big>१.  रामो नाम</big>
 
<big>२.  डयमानष्टिट्टिभः</big>
 
<big>३.  धनुर्वेदे</big>
 
<big>४.  जना एव</big>
 
<big>५.  स खादति  </big>
 
<big>६.  बालक आगच्छति</big>
 
<big>७.  देवोऽवतु</big>
 
<big>८.  एतैरागतम्</big>
 
<big>९.  धनिको ददाति</big>
 
<big>१०.  वृक्षः फलति</big>
 
<big>११.  चन्द्र उदेति</big>
 
<big>१२.  कपी रमते  </big>
 
<big>१३.  देहिनोऽस्मिन्यथा   </big>
 
<big>१४.  मात्रास्पर्शास्तु</big>
 
<big>१५.  रविरुदेति</big>
 
<big>१६.  बहव इच्छन्ति</big>
 
<big>१७.  शिशुश्शेते</big>
 
<big>१८.  रामस्तु</big>
 
<big>१९.  सोऽहम्</big>
 
<big>२०.  छात्रा लिखन्तु</big>
 
<big>२१.  राम  आह्वयति</big>
 
<big>२२.  कुतो विद्या</big>
 
<big>२३.  गौश्चरति</big>
 
<big>२४.  पितुरादेशाद्  </big>
 
<big>२५.  बालाष्टीकन्ते</big>
 
<big>२६.  गुरुर्ब्रह्मा</big>
 
<big>२७.  योग उच्यते</big>
 
<big>२८.  वृद्धा यान्ति</big>
 
<big>२९.  वायुर्वाति</big>
 
<big>३०.  इतस्ततः</big>
 
<big>३१.  देवा भवन्ति</big>
 
<big>३२.  गजो गच्छति</big>
 
<big>३३.  कविस्तिष्ठति</big>
 
<big>३४.  सोऽवसत्</big>
 
<big>३५.  तरूणा नमन्ति</big>
 
<big>३६.  पुनरुपविशति</big>
 
 
 
<big>'''ऊ.  भाट्टसूत्राणाम् अनुसृत्य सन्धिं कुरुत''' ।</big>
 
<big>१.  तै: + युक्तः  </big>
 
<big>२.  भक्तः + सेवते  </big>
 
<big>३.  बहव: + दुर्लभाः  </big>
 
<big>४.  रामः + एति  </big>
 
<big>५.  बालिकाः + आगच्छन्ति  </big>
 
<big>६.  बहिः + अटति</big>
 
<big>७.  कवेः + बुद्धिः  </big>
 
<big>८.  बालः + अस्ति  </big>
 
<big>९.  कीर्तिता: + गुणा:</big>
 
<big>१०.  गूढजत्रु: + अरिन्दम:  </big>
 
<big>११.  एषः + पठति  </big>
 
<big>१२.  लक्ष्मण: + अनुजगाम  </big>
 
<big>१३.  छात्राः + टीकन्ते   </big>
 
<big>१४.  शीतः + वायुः  </big>
 
<big>१५.  मातुः + रोदनम्  </big>
 
<big>१६.  ताः + धावन्ति  </big>
 
<big>१७.  धेनुः + गच्छति  </big>
 
<big>१८.  अन्तः + भागः</big>
 
<big>१९.  सः + अपि  </big>
 
<big>२०.  हरि: + षष्ठ:</big>
 
<big>२१.  सर्वः + एवम्  </big>
 
<big>२२.  बालः + करोति  </big>
 
<big>२३.  कः + इच्छति  </big>
 
<big>२४.  कर्मकराः + गच्छन्ति  </big>
 
<big>२५.  पितुः + इच्छा  </big>
 
<big>२६.  सः + पापेन्  </big>
 
<big>२७.  कथाः + दीर्घाः  </big>
 
<big>२८.  तरुः + रक्षति  </big>
 
<big>२९.  एषः + अब्रवीत्  </big>
 
<big>३०.  भानु: + राजते  </big>
 
<big>३१.  गोपालाः + हसन्ति  </big>
 
<big>३२.  प्रातः +  उदेति  </big>
 
<big>३३.  यः + आगच्छति  </big>
 
<big>३४.  छात्रः + छादयति  </big>
 
<big>३५.  एषः + इच्छति  </big>
 
 
 
<big>subrahmaNyaH - August 2020</big>
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