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Line 141:
<big>पठ + त = पठत</big>
<big>पठ + आनि = पठानि ''' अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.
<big>पठ + आव = पठाव ''' अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.
<big>पठ + आम = पठाम ''' अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.
Line 232:
<big>'''आद्गुणः''' (६.१.८६) = अ-वर्णात् अचि परे पूर्वपरयोः स्थाने गुणसंज्ञकः एकादेशः स्यात् | अत्र '''अचि परे''' इत्यस्य '''इकि परे''' इति फलितः अर्थः यतः अकारात् अकारः चेत् कार्यं बाधितम् '''अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.९९) इत्यनेन; अकारात् एच् चेत् कार्यं बाधितं '''वृद्धिरेचि''' इत्यनेन सूत्रेण च | आत् पञ्चम्यन्तं, गुणः प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | इको यणचि (६.१.७६) इत्यस्मात् '''अचि''' इत्यस्य अनुवृत्तिः; '''एकः पूर्वपरयोः''' (६.१.८३), '''संहितायाम्''' (६.१.७१) इत्यनयोः अधिकारः | अनुवृत्ति-सहितसूत्रम्— '''आत् अचि पूर्वपरयोः एकः गुणः संहितायाम्''' |</big>
Line 302:
<big>एध + ऐ = एधै ''' वृद्धिरेचि''' (६.१.८७)</big>
<big>एध + आवहै = एधावहै ''' अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.
<big>एध + आमहै = एधामहै ''' अकः सवर्णे दीर्घः''' (६.१.
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