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'''तुदादिभ्यः शः ('''३'''.'''१'''.'''७७''')''' = तुदादिगणे स्थितेभ्यः धातुभ्यः श-प्रत्ययः भवति, कर्त्रर्थक-सार्वधातुकप्रत्यये परे | तुद् आदिर्येषां ते, तुदादयः बहुव्रीहिसमासः, तेभ्यः तुदादिभ्यः | तुदादिभ्यः पञ्चम्यन्तम्, श प्रथमान्तम्, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''कर्तरि शप्''' (३.१.६८) इत्यस्मात् '''कर्तरि''' इत्यस्य अनुवृत्तिः; '''सार्वधातुके यक्''' (३.१.६७) इत्यस्मात् '''सार्वधातुके''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | '''प्रत्ययः''' (३.१.१), '''परश्च''' (३.१.२) इत्यनयोः अधिकारः; '''
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