9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/16---kta-pratyayaH: Difference between revisions

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'''क्तक्तवतू निष्ठा''' (१.१.२६) = क्त-प्रत्ययः, क्तवतु-प्रत्ययश्च निष्ठा-संज्ञकौ भवतः | क्तश्च क्तवतुश्च तयोरितरेतरयोगद्वन्द्वः क्तक्तवतू | क्तक्तवतू प्रथमान्तं, निष्ठा प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् , सूत्रं स्वयं सम्पूर्णम् | अनुवृत्ति-सहित-सूत्रम्‌— '''क्तक्तवतू निष्ठा''' (१.१.२६) |
 
'''<big>२.  अयं कृत् संज्ञकः |</big>'''
 
'''<big>२.  अयं कृत् संज्ञकः |</big>'''
 
 
'''<big>२.  अयं कृत् संज्ञकः |</big>'''
 
'''कृदतिङ्''' (३.१.९३) = धातोः परः विहितः तिङ् भिन्नः प्रत्ययः कृत् संज्ञकः स्यात् | क्त प्रत्ययः तिङ्-भिन्न-प्रत्ययः , अपि च धातोः परः विहितः | अतः अयं कृत् संज्ञकः | तिङ् न, अतिङ् नञ्तत्पुरुषः | अतिङ् प्रथमान्तं , कृत् प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | अस्मिन्‌ सूत्रे '''प्रत्ययः''' (३.१.१), '''धातोः''' (३.१.९१), '''परश्च''' (३.१.२) इत्येषाम्‌ अधिकारः | अनुवृत्ति-सहित-सूत्रम्‌— '''धातोः परः अतिङ् प्रत्ययः कृत्''' |
'''<big>३.  क्त प्रत्ययः धातोः परः भूतकालार्थे विहितः स्यात् |</big>'''
'''<big>३.  क्त प्रत्ययः धातोः परः भूतकालार्थे विहितः स्यात् |</big>'''
 
'''<big>३.  क्त प्रत्ययः धातोः परः भूतकालार्थे विहितः स्यात् |</big>'''
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३.  रामेण पाठशाला ''गता'' |
 
'''<big>४.  क्त प्रत्ययः भावे कर्मणि च प्रयुक्तः भवति |</big>'''
 
'''तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः''' (३.४.७०) = कृत्य-प्रत्ययाः, '''क्त प्रत्ययः''', खल्-प्रत्ययः भावे कर्मणि च प्रयुक्ताः भवन्ति | खलः अर्थः खलर्थः,  षष्ठीतत्पुरुषः | कृत्याश्च क्ताश्च खलर्थाश्च तेषामितरेतरद्वन्द्वः '''कृत्यक्तखलर्थाः''' | '''तयोः''' सप्तम्यन्तम् , '''एव''' अव्ययपदं , '''कृत्यक्तखलर्थाः''' प्रथमान्तं , त्रिपदमिदं सूत्रम् | '''प्रत्ययः''' (३.१.१), '''धातोः''' (३.१.९१), '''परश्च''' (३.१.२) इत्येषाम्‌ अधिकारः | अस्मिन् सूत्रे '''तयोः''' इत्यनेन '''लः कर्मणि च भावे चाकर्मकेभ्यः''' (३.४.६९) इत्यस्मात् सूत्रात् '''कर्मणि, भावे अकर्मकेभ्यः''' इत्यनयोः ग्रहणम् | अनुवृत्ति-सहित-सूत्रम्‌— '''धातोः  परः कृत्यक्तखलर्थाः प्रत्ययाः कर्मणि , (अकर्मकेभ्यः धातुभ्यः) भावे''' |
 
'''यथा''' - 
 
१.  <u>कर्मणि प्रयोगे</u>  - मात्रा बालकाय भोजनं ''दत्तम्'' |
 
२.  <u>भावे प्रयोगे</u> - शिशुना ''रुदितम्'' |
 
<big>'''.'''   '''क्त-प्रत्ययान्तरूपस्य प्रातिपदिकसंज्ञा स्यात् |'''</big>
 
'''कृत्तद्धितसमासाश्च''' (१.२.४६) = कृदन्ताः, तद्धितान्ताः, समासाः च अपि प्रातिपदिकसंज्ञकाः | कृच्च, तद्धितश्च, समासश्च, कृत्तद्धितसमासाः इतरेतरद्वन्द्वः | कृत्तद्धितसमासाः प्रथमान्तं, च अव्ययपदं, द्विपदमिदं सूत्रम्‌ | '''अर्थवदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम्‌''' (१.२.४५) इत्यस्मात्‌ '''अर्थवत्‌''', '''प्रातिपदिकम्‌''' इत्यनयोः अनुवृत्तिः | अनुवृत्ति-सहित-सूत्रम्‌— '''अर्थवन्तः''' '''कृत्तद्धितसमासाः च प्रातिपदिकानि''' |
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|पठितेषु
|}
 
 
 
'''<big>.  क्त प्रत्ययः भावे कर्मणि च प्रयुक्तः भवति |</big>'''
 
'''तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः''' (३.४.७०) = कृत्य-प्रत्ययाः, '''क्त प्रत्ययः''', खल्-प्रत्ययः भावे कर्मणि च प्रयुक्ताः भवन्ति | खलः अर्थः खलर्थः,  षष्ठीतत्पुरुषः | कृत्याश्च क्ताश्च खलर्थाश्च तेषामितरेतरद्वन्द्वः '''कृत्यक्तखलर्थाः''' | '''तयोः''' सप्तम्यन्तम् , '''एव''' अव्ययपदं , '''कृत्यक्तखलर्थाः''' प्रथमान्तं , त्रिपदमिदं सूत्रम् | '''प्रत्ययः''' (३.१.१), '''धातोः''' (३.१.९१), '''परश्च''' (३.१.२) इत्येषाम्‌ अधिकारः | अस्मिन् सूत्रे '''तयोः''' इत्यनेन '''लः कर्मणि च भावे चाकर्मकेभ्यः''' (३.४.६९) इत्यस्मात् सूत्रात् '''कर्मणि, भावे अकर्मकेभ्यः''' इत्यनयोः ग्रहणम् | अनुवृत्ति-सहित-सूत्रम्‌— '''धातोः  परः कृत्यक्तखलर्थाः प्रत्ययाः कर्मणि , (अकर्मकेभ्यः धातुभ्यः) भावे''' |
 
'''यथा''' - 
 
१.  <u>कर्मणि प्रयोगे</u>  - मात्रा बालकाय भोजनं ''दत्तम्'' |
 
२.  <u>भावे प्रयोगे</u> - शिशुना ''रुदितम्'' |
 
 
 
'''६.अ.   आदिकर्मणि विहितः क्त-प्रत्ययः कर्तरि अपि स्यात् |'''
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'''अन्यदुदाहरणम्''' - ''ज्वलिते अग्नौ जुहोति |'' - ज्वल् धातोः क्त-प्रत्ययान्तरूपम् - ''ज्वलित'' | पुंसि , सप्तम्येकवचने - ज्वलिते | अग्नेः ज्वलनम् आरब्धम् , इदानीमपि ज्वलति , अग्रे अपि ज्वलिष्यति | तस्मिन् अग्नौ एव केनापि यज्ञः क्रियते , न तु भस्मीभूते अग्नौ | अतः अस्मिन् वाक्ये क्तान्तरूपम् आदिकर्मणि न तु भूते |
'''६.आ.   केभ्यश्चन धातुभ्यः परः विहितः क्त-प्रत्ययः कर्तरि अपि स्यात् |'''
 
'''६.आ.   केभ्यश्चन धातुभ्यः परः विहितः क्त-प्रत्ययः कर्तरि अपि स्यात् |'''
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|हरिः ''वैकुण्ठम्''<nowiki> अध्यास्ते |</nowiki>
|}
 
 
 
'''७.'''  '''नपुंसके भावे कालसामान्ये क्त प्रत्ययः |'''
 
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