4 - धातुगणाभ्यासः
01---dhAtugaNaparicayah/4---dhAtugaNAbhyAsaH
धातुगणाभ्यासः ध्वनिमुद्रणानि-- | |
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१) | dasha_dhAtugaNAH-2_+_abhyAsaH _2015-09-23 |
२) | dasha_dhAtugaNAH---abhyAsaH-2_2015-09-30 |
३) | दश धातुगणाः 2014-09-09 |
४) | दश धातुगणाः - 2 - 2014-09-16 |
एतावता धातुगणानां प्रसङ्गे, गुणस्य प्रसङ्गे च बहु किमपि ज्ञातम् ! अधुना अभ्यासः करणीयः; अस्मिन् कोष्ठके धातवः दत्ताः सन्ति, एकैकस्य लट्-लकार-रूपम् अपि दत्तं, धात्वर्थः अपि दत्तः | धातुं च लट्-लकाररूपं च दृष्ट्वा गणं गणस्य नाम च पूरयतु |
धातुः | क्रियापदम् | गणः | गणस्य नाम | धात्वर्थः |
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गृज् | गर्जति | प्रथमः | भ्वादिगणः | शब्दे |
शुच् | शोचति | शोके | ||
तिल् | तिलति | स्नेहने | ||
चि | चिनोति | चयने | ||
शुष् | शुष्यति | शोषणे | ||
दिश् | दिशति | अतिसर्जने | ||
विल् | वेलयति | क्षेपे | ||
मी | मीनाति | हिंसायाञ्च | ||
कृष् | कृषति | विलेखने | ||
भी | बिभेति | भये | ||
हिंस् | हिनस्ति | हिंसायाम् | ||
सिव् | सीव्यति | तन्तुसन्ताने | ||
धू | धुनाति | कम्पने | ||
हिंस् | हिंसयति | हिंसायाम् | ||
क्षुद् | क्षुणत्ति | सम्पेषणे | ||
तन् | तनोति | विस्तारे | ||
स्पृश् | स्पृशति | संस्पर्शने | ||
तर्क् | तर्कयति | भाषायाम् | ||
दु | दुनोति | उपतापे | ||
भृ | भरति | भरणे | ||
या | याति | प्रापणे | ||
नी | नयति | प्रापणे | ||
जॄ | जीर्यति | वयोहानौ | ||
मा | मायते | माने | ||
पू | पुनाति | पवने | ||
भिद् | भिनत्ति | विदारणे | ||
दरिद्रा | दरिद्राति | दुर्गतौ | ||
भाज् | भाजयति | पृथक्कर्मणि | ||
मन् | मन्यते | ज्ञाने | ||
जि | जयति | जये | ||
क्लिश् | क्लिश्नाति | बिबाधने | ||
ह्वृ | ह्वरति | संवरणे | ||
पुंस् | पुंसयति | अभिवर्धने | ||
स्ना | स्नाति | शौचे | ||
जीव् | जीवति | प्राणधारणे | ||
क्षि | क्षिणोति | हिंसायाम् | ||
दा | ददाति | दाने | ||
ध्वन् | ध्वनयति | शब्दे | ||
मुच् | मुञ्चति | मोक्षणे | ||
धातुः | क्रियापदम् | गणः | गणस्य नाम | धात्वर्थः |
पृ | पृणोति | प्रीतौ | ||
गै | गायति | शब्दे | ||
डी | डीयते | विहायसा गतौ | ||
भृ | बिभर्ति | धारणपोषणयोः | ||
भा | भाति | दीप्तौ | ||
सि | सिनोति | बन्धने | ||
स्थूल् | स्थूलयते | परिबृंहणे | ||
क्षुद् | क्षुणत्ति | सम्पेषणे | ||
पुष् | पुष्यति | पुष्टौ | ||
वच् | वक्ति | परिभाषणे | ||
कृ | करोति | करणे | ||
द्रुह् | द्रुह्यति | जिघांसायाम् | ||
शिक्ष् | शिक्षते | विद्योपादाने | ||
रच् | रचयति | प्रतियत्ने | ||
रुच् | रोचते | दीप्तौ अभिप्रीतौ च | ||
ख्या | ख्याति | प्रकथने | ||
स्वप् | स्वपिति | शये | ||
तिज् | तेजयति | निशाने | ||
ऋण् | ऋणोति | गतौ | ||
सृज् | सृज्यते | विसर्गे | ||
राध् | राध्नोति | संसिद्धौ | ||
कृश् | कृश्यति | तनूकरणे | ||
पा | पाति | रक्षणे | ||
शिष् | शिनष्टि | विशेषणे | ||
ज्ञा | जानाति | अवबोधने | ||
सन् | सनोति | दाने | ||
वञ्च् | वञ्चयते | प्रलम्भने | ||
रुद् | रोदिति | अश्रुविमोचने | ||
मृष् | मृष्यति | तितिक्षायाम् | ||
हा | जहाति | त्यागे | ||
प्सा | प्साति | भक्षणे | ||
श्रि | श्रयति | सेवायाम् | ||
तृष् | तृष्यति | पिपासायाम् | ||
स्तृ | स्तृणोति | आच्छादने | ||
क्षिप् | क्षिपति | प्रेरणे | ||
द्युत् | द्योतते | दीप्तौ | ||
छिद्र् | छिद्रयति | कर्णभेदने | ||
हृ | हरति | हरणे | ||
विश् | विशति | प्रवेशने | ||
गमि | गमयति | गतौ |
Swarup July 2012