09 - वर्गजनानां चित्राणि---प्रतियोगितायाः सम्बन्धावच्छिन्नत्वम्
१. "वायौ समवायेन रूपं नास्ति" - रश्मी-भगिन्या निरूपितम् |
२. "कपाले संयोगेन घटो नास्ति" - जयचन्द्र-महोदयेन निरूपितम् |
३. "संयोगेन कपाले घटो नास्ति" - माला-भगिन्या निरूपितम् |
४. "काले विषयतासम्बन्धेन घटो नास्ति" - वेङ्कटेश-महोदयेन निरूपितम् |
५. "तन्तौ संयोगेन पटो नास्ति" - जयन्ती-भगिन्या निरूपितम् |
६. "कपाले संयोगेन घटो नास्ति" - सव्यसाची-महोदयेन निरूपितम् |
७. "कपाले संयोगेन घटो नास्ति" - अखिला-भगिन्या निरूपितम् |
८. "भूतले समवायेन घटो नास्ति" - भव्या-भगिन्या निरूपितम् |
९. "तन्तौ संयोगेन पटो नास्ति" - भव्या-भगिन्या निरूपितम् |
१०. "कपाले संयोगेन पटो नास्ति" - सावित्री-भगिन्या निरूपितम् |
११. "भूतले संयोगेन पटो नास्ति" - भारती-भगिन्या निरूपितम् |
१२. "तन्तौ संयोगेन पटो नास्ति" - रत्ना-भगिन्या निरूपितम् |
१३. "काले विषयतासम्बन्धेन घटो नास्ति" - गोपाल-महोदयेन निरूपितम् |
१४. "गगने कालिकसम्बन्धेन घटत्वं नास्ति" - सन्ध्या-भगिन्या निरूपितम् |
१५. "काले विषयतासम्बन्धेन घटो नास्ति" - निरञ्जन-महोदयेन निरूपितम् |
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Subpages (1): 01 - कालस्य लक्षणम्