ध्वनिमुद्रणानि
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विद्याधरीपृष्ठसङ्ख्याः +/- करपत्रम्
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001-paricayaH-Adhara Adheya bhAvaH-19-02-2022
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Vidhyadhari page 1 to 5
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002-AdhAra-Adheya-BhAvaH-Audio-26022022
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Vidyadhari pages 5 to7
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003-AdhAra-Adheya-BhAvaH+Saptha Padartha-parichayaH-05032022
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Vidyadhari pages 6to8
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004-DravyAdiinAM AdhAraAdheyabhAva NirUpaNM-12032022
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vidyadhari pages 7 - 9
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005-DravyAdiinaAm AdhAra Adhyeya BhAvaH+SAmAnyam-19032022
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vidyadhari pages 8-10
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००6 -सत्ताअतिरिक्त्ताजाति+द्रव्यदीनामं परापत्व साधनम् -२६०३२०२२
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विद्याधरि पुट संख्य १0-१२
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००7 -सामान्यं विशेषः च - ०२०४२०२२
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सामान्यंविशेषःच-करपत्रम्
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००8 -विशेषः समवायःच - १६०४२०२२
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पुस्तके पृष्ठः १२ - १५
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००9 -समवायः अभावाः +विरोध निरूपणम् च २३०४२०२२
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पुस्तके पृष्ठ - १५ --१७
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०१० - प्रतियोगि अनुयोगि भाव निरूपणम्+विशेषाभावः३0०4२०२२
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पुस्तके पुट संख्या १७ - २०
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०११ -विशेषविशेषाभावः+अवच्छेदकत्वपदार्थ वर्णनम्
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पुस्तके पुट संख्या २०--२४
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012-अवच्छेद्यावच्छेदक भावः+ अभावस्य चतुर् विधम् ।
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पुस्तके - २५ --२८
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013 - अभावस्य चतुर् विधम् २१०५२०२२
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पुस्तके २७ ,२८
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०१४ - इदम् अस्य कारणम् इति वक्तुम् निकषाः
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पुस्तके २८ --३०
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०१५ - अधिकरणस्यापि भवति अनुयोगि इति संज्ञा १1०६२०२२
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पुस्तके ३१ -३२
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०१६ ज्ञानम् तद् विषयता च १८०६२०२२
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पुस्तके ३२ -३३
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०१७ ज्ञानम् तद् विषयता च २५०६२०२२
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पुस्तके ३३ - ३६
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०१८ लक्ष्णभागः- पृथिवि निरूपणम् ०२०७२०२२
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पुस्तके ३७ -३९
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०१९ गन्धवती पृथिवी गन्धवत्वम् पृथ्वी लक्ष्णम् इत्यनयोः भेद निरूपणम् १००७२०२२
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पुस्तके ४०,४१
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०२० उद्देश भागः पुनश्चिन्तनम्+आपः लक्षणम्१६०७२०२२
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पुस्तके ४१, ४२
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०२१ तेजःलक्षणम्+दलसार्थक्यं नाम किम्=२३०७२०२२
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पुस्तके ४२,४३
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०२२ दलसार्थक्यम्+शब्दगुणकम् आकाशम्+सम्बन्धस्य अवच्छेदकत्वम् ३००७२०२२
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पुस्तके ४३ --४६
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०२३ संबन्धस्य अवच्छेदकत्वम् ०६०८२०२२
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पुस्तके ४६,४७
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०२४ प्रतियोगितायाःसम्बन्धावच्छिन्नत्वम् तुल्यन्न्यात् १३०८२०२२
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पुस्तके ४७,४८
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०२५ संबन्धस्य अवच्छेदकत्वम् + प्रतिनियत ग्राह्याः गुणाः २००८२०२२
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पुस्तके ४७ - ४९
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०२६ प्रति नियत ग्राह्याः गुणाः २७०८२०२२
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पुस्तके ४९ -५१
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०२७ द्रव्य प्रत्यक्षं केन भवति+आकाशादीनाम् एकत्वम् ०३०९२०२२
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पुस्तके ५१ - ५३
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०२८ इन्द्रियाणाम् अतिद्रियत्वम्+अतीतादिव्यवहार हेतुः कालः१००९२०२२
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पुस्तके ५३ -५५
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०२९ कालोपाधि निरूपणम् + गृहादिः कथं कालोपाधिर्भवति १७०९२०२२
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पुस्तके५५ -५८
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०३० सर्वजन्यानाम् समानकालिकानाम् परस्परमधिकरणत्वम् २४०९२०२२
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पुस्तके ५८ - ६०
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०३१ कालः करपत्रं+दिशः लक्ष्णम् ०८ १० २०२२
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पुअतके ६०-६१ + कालः करपत्रम्।
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०३२ दिशः लक्षणम्+ज्ञानाधिकरणम् आत्मा १५१०२०२२
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पुस्तके ६0 -६३
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०३३व्यापरः सम्स्कारः च करपत्रम् २२१०२०२२
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व्यापारः संस्कारः च करपत्रम्
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०३४ विषयत्वसंबन्धस्य वृत्ति नियामकत्वे विवादः २९१०२०२२
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पुस्तके ६४ -६५
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०३५सूचिकटाहन्यायः+ईश्वरसाधकमनुमानम्+ज्ञानम्,इच्छा,कृतिः त्रयाणाम् भेदः०५११२०२२
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पुस्तके ६५ - ६८
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०३६ सविषयक पदार्थानाम् गणनम्+जीवस्य अनित्यत्वे का क्षतिः १२ ११२०२२
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पुस्तके ६७ - ६८
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०३७ सविषयक पदार्थ गणनम् २६ ११ २०२२
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पुस्तके ६८ - ७०
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०३८ द्रव्य निरूपणम् पुनःस्मारणम् ०३ १२ २०२२
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०३९ द्रव्य निरूपणम् पुनः चिन्तनम् १७ १२ २०२२
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०४० विशेषणम् विशेष्यम् करपत्रम् ०७ ०१ २०२३
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विशेषणम् विशेष्यम्
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०४१ विशेषणम् विशेष्यम् करपत्रम् २१ ०१ २०२३
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विशेषणम् विशेष्यम्
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०४२ मनो निरूपणम्+ गुण निरूपणम् २८ ०१ २०२३
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पुस्तके ७० - ७३
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०४३ आत्मा मन च करपत्रम् ०४ ०२ २०२३
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आत्मा मनः च करपत्रम्
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०४४ आत्म मनः च+गुण निरूपणम् ११ ०२ २०२३
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गुण निरूपणम् पुअतके ७२
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०४५ गुण निरूपणम् १८ ०२ २०२३
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गुण निरूपणम् पुस्तके ७२
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०४६ रूप लक्षणे दलसार्थक्यम् २५ ०२ २०२३
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गुण निरूपणम् पुस्तके ७२ - ७४
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०४७ रूपलक्षणे दल सार्थक्यम्+ ग्राह्यपदयुक्त इतर लक्श्नण निरूपणम् ०४०३२०२३
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पुस्तके ७५ -७८
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०४८रूपलक्षणे गुरुत्वस्य निवारणम् करपत्रम् ११ ०३ २०२३
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करपत्रम्
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०४९ गुणस्य व्याप्याव्याप्य च वृत्तित्वम् १८ ०३ २०२३
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करपत्रम्
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०५० गुणस्य व्याप्याव्याप्य च वृत्तित्वम् २५ ०३ २०२३
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गुणस्य व्याप्याव्यप्य च वृत्तित्वम्
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०५१ गुणस्य व्याप्याव्यप्य च वृत्तित्वम् ०१ ०४ २०२३
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गुणस्य व्याप्याव्याप्य च वृत्तित्वम्
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०५२ गुणस्य व्याप्याव्याप्यं च वृत्तित्वम् ०४ ०८ २०२३
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करपत्रम्
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०५३ गुणस्य व्याप्याव्याप्यं च वृत्तित्वम् २२ ०४ २०२३
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करपत्रम्
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०५४ गुणस्य व्याप्याव्याप्यं च वृत्तित्वम् २९ ०४ २०२४
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करपत्रम्
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०५५ रसादि लक्षणानि विभागः च+अन्वय सहचारः इति पदार्थ निरूपणम् १३ ०५ २०२३
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विद्याधरि ८१&८२
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०५६ अन्वय व्यतिरेक व्यभिचारौ २० ०५ २०२३
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विद्यधरि ८२ - ८४
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०५७ असमवेत गुणानाम् ज्ञानम्+गुणोपि जायमानः गुण प्रत्ययः समर्थनीयः ०३ ०६ २०२३
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विद्याधरि ८४ - ८६
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०५८ एकत्वादि व्यवहार हेतुः संख्या सा नव द्रव्यवृत्तिः १० ०६ २०२३
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विद्याधरि ८७ - ८८
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०५९ समवायिकारणं+असमवायिकारण निरूपणम् १७ ०६ २०२३
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विद्याधरि ८८ - ९०
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०६० कार्यकारणभावः च द्वितीयम् असमवायिकारणम् ०१ ०७ २०२३
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करपत्रम् १७
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०६१ कार्य कारणभावः + एकत्वस्य द्वै विद्यम् ०८ ०७ २०२३
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विद्यधरि ९० - ९१
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०६२ मानव्यवहार असाधारणम् कारणम् परिमाणम्+परिमाणस्य विभागन्तरम् १५ ०७ २०२३
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विद्याधरि ९२ - ९४
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०६३ द्वितीयासमवायिकारण् विवरणम् +पृथक् व्यवहारासाधारणम् कारण पृथ्क्त्वम् २२ ०७ २०२३
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विद्याधरि ९४ - ९६
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०६४ सूक्ति ललन्तिका २९ ०७ २०२३
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विद्याधरि ९७ ९८
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०६५ सम्योगस्य आधारेण पृथक्त्वभेदयोः परस्पर वैलक्षण्यम् १२ ०८ २०२३
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क़रपत्रम् १९
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०६६ सम्योगस्य अधारएण पृथक्त्व भेदयोः परस्पर वैलक्षण्यम् २६ ०८ २०२३
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क़रपत्रम् १९
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०६७ सम्योगस्य आधारेण पृथक्त्व भेदयोः वैलक्षण्यम् ०९ ०९ २०२३
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क़रपत्रम् १९
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०६८ संयोगस्य आधारेण पृथक्त्वभेदयोः परस्पर वैलक्षण्यम् १६ ०९ २०२३
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क़रपत्रम् १९
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०६९ संयोग निरूपणम् + संयोग नाशको गुणः विभागः २३ ०९ २०२३
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विद्याधरि ९९ - १०१
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०७० संयोग नाशको गुणः विभागः+ सूक्तिललन्तिक ३० ०९ २०२३
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विद्याधरि १०१ - १०३
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०७१ परापरव्यवहार असाधारणकारणे परापरत्वे ०७ १० २०२३
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विद्याधरि १०४ - १०७
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०७२ आद्यपतनासमवायिकारणम् गुरुत्वम् + जले गुरुत्ववशात् आद्यपतनम् २१ १० २०२३
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विद्याधरि १०८ - ११०
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०७३ आद्यपतन असमवायिकारणम् गुरुत्वम् दलसार्धक्यम् २८ १० २०२३
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करपत्रम्
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०७४ गुरुत्व लक्षणे अपूर्व विचारः ०४ ११ २०२३
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विद्याधरि ११ - ११२
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०७५ आद्यपतनासमवायिकारणम् गुरुत्वम् + दलसार्धक्यम् ०२ १२ २०२३
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करपत्रम्
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०७६ आद्यस्यन्दनासमवायि कारणम् द्रवत्वम्+पदन स्यन्दनयोः भेदः+करपत्रम् ०९ १२ २०२३
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विद्यधरि ११२, ११३ + करपत्रम्
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०७७ सुवर्णम् तैजसम् द्रव्यम्+चूर्णादि पिण्डीभावहेतुर्गुणः स्नेहः । जलमात्रवृत्ति १६ १२ २०२३
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सुवर्णम् तैजसम् द्रव्यम्+विद्यधरि ११४
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०७८ स्नेहस्य पिण्डीभावम्प्रति निमित्ताकारणम् + करपत्रम् २३ १२ २०२३
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करपत्रम् १७ +विद्याधरि ११५
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०७९ निमित्त कारणतयाः अन्यत् उदाहरणम् + करपत्रम् ०६ ०१ २०२४
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विद्याधरि ११५ - ११६
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०८० शब्द निरूपणम् ०३ ०२ २०२४
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विद्याधरि ११७-११८
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०८१ इन्द्रियाणाम् प्राप्य कार्यत्वम् १० ०२ २०२४
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विद्याधरि ११८ - १९
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०८२ स्वाधिकरणे सजातीय गुण जनकत्वम् क्व दृष्टम् १७ ०२ २०२४
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विद्याधरि ११९ - १२१
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०८३ सर्व व्यवहार हेतुर्गुणः ज्ञानम् बुधिः + संस्कार जन्यम् ज्ञानम् स्मृतिः २४ ०२ २०२४
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विद्याधरि १२१ - २४
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०८४ भावनाख्य संस्कारः आवश्यकः ०२ ०३ २०२४
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विद्याधरि १२४ - २६
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०८५ सर्वत्र मात्र पदेन निवार्यम् चिन्त्यम् १६ ०३ २०२४
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विद्याधरि १२७ - २८
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०८६ सर्वत्र मतृपदेन निवार्यम् चिन्त्यम्+प्रत्यभिज्ञा स्वरूपवर्णनम् २३ ०३ २०२४
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विद्याधरि १२९ १३१
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