6---sArvadhAtukaprakaraNam-anadantam-aGgam/14A---adAdigaNe-halantadhAtavaH: Difference between revisions
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|आताम् |
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|हि, तात् |
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|स्व |
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|<big>'''त्'''</big> |
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|<big>आताम्</big> |
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|<big>तम्</big> |
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|<big>थाः</big> |
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|<big>व</big> |
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|<big>इ</big> |
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|<big>वहि</big> |
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|<u><big>विधिलिङ्-लकारः</big></u> |
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|<big>यात्</big> |
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|<big>याताम्</big> |
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|<big>युः</big> |
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|<big>ईत</big> |
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|<big>ईयाताम्</big> |
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|<big>ईरन्</big> |
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|<big>याः</big> |
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|<big>यातम्</big> |
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|<big>यात</big> |
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|<big>ईथाः</big> |
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|<big>ईयाथाम्</big> |
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|<big>ईध्वम्</big> |
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|<big>याम्</big> |
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|<big>याव</big> |
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| <big>याम</big> |
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|<big>ईय</big> |
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|<big>ईवहि</big> |
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|<big>ईमहि</big> |
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Revision as of 18:34, 12 May 2021
ध्वनिमुद्रणानि -
2019 वर्गः
१) adAdigaNe-halantadhAtavaH---paricayaH_+_वच्_+_पृच्_2019-04-30
२) adAdigaNe-halantadhAtavaH---णिजि_+_मृजू_+_ईड_2019-05-07
३) adAdigaNe-halantadhAtavaH---ईड_+_षस्ति_2019-05-14
४) adAdigaNe-halantadhAtavaH---षस्ति_+_अद_+_विद_2019-05-21
५) adAdigaNe-halantadhAtavaH---हन_+_ईर_+_वश_2019-05-28
६) adAdigaNe-halantadhAtavaH---ईश_+_द्विष_+_चक्षिङ्_2019-06-04
७) adAdigaNe-halantadhAtavaH---वस_+_आस_+_आशासु_+_कसि_+_णिसि_+_षस_+_अस_2019-06-11
८) adAdigaNe-halantadhAtavaH---अस_+_दुह_2019-06-18
९) adAdigaNe-halantadhAtavaH---अस्-हि-प्रसङ्गे-बाध्यबाधकभावः_+_दुह_2019-06-25
१०) adAdigaNe-halantadhAtavaH---tulyabalavirodhaH_+_अस्-हि_+_दिह_+_लिह्_2019-07-02
११) adAdigaNe-halantadhAtavaH---nityatvaM_+_sthAnivadbhAvaH_+_शास्-हि_+_लिह्_+_रुद_2019-07-09
१३) adAdigaNe-halantadhAtavaH---चकास्_+_शास्_+_sthAnivadbhAvaH_2019-07-23
१४) शास्-धातु-रूपाणि_2019-08-06
2016 वर्गः
१) adAdigaNe-halantadhAtavaH-1_वच्_+_पृच्_+_मृज्_2016-07-10
२) adAdigaNe-halantadhAtavaH-2_ईड्_+_षस्ति-सन्स्त्_+_अद्_2016-07-17
३) adAdigaNe-halantadhAtavaH-3_ईड् [पुनः]_+_विद्_+_हन्_2016-07-24
४) adAdigaNe-halantadhAtavaH-4_विद्_+_हन्_2016-07-31
५) adAdigaNe-halantadhAtavaH-5_ईर्_+_वश्_+_ईश्_+_द्विष्_2016-08-07
६) adAdigaNe-halantadhAtavaH-6_द्विषन्ति-पूर्वत्रासिद्धम्_+_चक्ष्_+_वस्_+_कसि_+_णिसि_2016-08-14
७) adAdigaNe-halantadhAtavaH-7_षस_+_अस्_+_दुह्_2016-08-21
८) adAdigaNe-halantadhAtavaH-8---hakArAntAnAM-samagracintanam_+_दुह्_+_लिह्_2016-08-28
९) adAdigaNe-halantadhAtavaH-9---rudAdyantargaNaH_2016-09-11
१०) adAdigaNe-halantadhAtavaH-10---rudAdyantargaNaH-jakShAdyantargaNaH-ca_2016-09-18
अदादिगणे ७२ धातवः सन्ति | तेषु ४५ धातवः अजन्ताः, २७ धातवः हलन्ताः च | ४५ अजन्तधातवः अस्माभिः परिशीलिताः पूर्वतने पाठे; अधुना २७ हलन्तधातवः अवलोकयिष्यन्ते |
यथा सर्वेषु गणेषु, अदादिगणेऽपि कर्त्रर्थके सार्वधातुकप्रत्यये परे, कर्तरि शप् इत्यनेन शप् विहितः अस्ति | तदा अदिप्रभृतिभ्यः शपः (२.४.७२) इत्यनेन शपः लुक् (लोपः) भवति | अनुवृत्ति-सहितसूत्रम्—अदिप्रभृतिभ्यः शपः लुक् | शपः लुक् भवति अतः अदादिगणे कोऽपि विकरणप्रत्ययः न दृश्यते | शपः लुक् इत्यस्मिन् प्रसङ्गे स्मर्यतां यत् लुक् इत्युक्ते लोपः एव, नाम शप्-विकरणप्रत्ययः अपगच्छति | परञ्च लोप-लुक् इत्यनयोः कश्चन भेदः अस्ति; भेदः अयं यत् कस्यचित् प्रत्ययस्य लोपः यदा भवति, तदा लुप्तप्रत्ययः यद्यपि न दृश्यते, तथापि कार्यं करोति | परन्तु प्रत्ययस्य लुक् भवति चेत्, प्रत्ययलोपे प्रत्ययलक्षणं नास्ति इत्यस्मात् किमपि कार्यं तेन न भवति | लुकि सति, यस्मात् अङ्गात् प्रत्ययः लुप्तः जातः, तस्मिन् अङ्गे सः लुप्तप्रत्ययः तदानीम् अङ्गकार्यस्य निमित्तं न भवितुम् अर्हति |
अदादिगणे विकरणप्रत्ययस्य लुक् भवति अतः धातोः साक्षात् परे तिङ्प्रत्ययाः विहिताः भवन्ति | यथा पा + ति → पाति | पूर्वम् अदादिगणस्य अजन्तधातवः अवलोकिताः; तत्र अच्-वर्णः अन्ते आसीत् अतः एकं मुख्यं कार्यं गुणकार्यं, यथा इ + ति → एति | अस्मिन् पाठे अदादिगणस्य हलन्तधातवः परिशीलयिष्यन्ते | अत्र धात्वन्ते हल्-वर्णः अस्ति अतः एकं मुख्यं कार्यं सन्धिकार्यम् |
स्मर्यते यत् हलन्तधातुरूपाणि भिन्नरीत्या सिध्यन्ति अदादिगणे, जुहोत्यादिगणे, रुधादिगणे च यतः तत्र धातोः तिङ्-प्रत्ययस्य च साक्षात् सम्पर्कः | अदादिगणे, जुहोत्यादिगणे, रुधादिगणे च हलन्तधातुभ्यः यदा हलादि-प्रत्ययः विहितः, तदा हल्-सन्धिः सम्भवति इति ज्ञायते | स्मरन्तु यत् प्रत्ययः अजादि-वर्णैः आरभ्यते, तदा धातुः हलन्तः चेदपि हल्-सन्धिः न भवति (केवलं वर्ण-सम्मेलनं भवति) | प्रत्ययः य्, र्, व्, म्, न् इत्येभिः हल्-वर्णैः आरभ्यते चेत् आधिक्येन हल्-सन्धिः न भवति | प्रत्ययः त्, थ्, ध्, स् इत्येभिः वर्णैः आरभ्यते, तस्यामेव दशायां हल्-सन्धिः भवति | हल्-सन्धयः कीदृशाः, अपि च कार्यं कीदृशम् इति पूर्वतनेषु हल्सन्धिपाठेषु विस्तरेण अवलोकितम् | अतः अधुना एतत् हल्-सन्धि-विज्ञानं मनसि निधाय अग्रे सरेम, सर्वान् अदादौ स्थितान् हलन्तधातून् परिशीलयाम |
वयं जानीमः यत् सार्वधातुकप्रकरणे दश धातुगणाः गणसमूहद्वये विभक्ताः अङ्गस्य अन्तिमवर्णस्य अनुसारम् | येषु धातुगणेषु अङ्गम् अदन्तं भवति, ते धातुगणाः प्रथमगणसमूहे वर्तन्ते | येषु धातुगणेषु अङ्गम् अनदन्तं भवति, ते धातुगणाः द्वितीयगणसमूहे वर्तन्ते इति | सामान्यतया धातुगणेषु विकरणप्रत्ययाः सन्ति; तत्र विकरणप्रत्ययस्य अन्तिमवर्णः एव अङ्गस्य अन्तिमवर्णः | यथा भ्वादौ शप् इति विकरणप्रत्ययः; भू-धातोः भव इत्यङ्गम्; अङ्गस्य अन्तिमवर्णः ह्रस्व-अकारः (शपः एव अन्तिमवर्णः) | अतः अङ्गम् अदन्तम् इति | स्वादौ श्नु इति विकरणप्रत्ययः; चि-धातोः चिनु इत्यङ्गम्; अङ्गस्य अन्तिमवर्णः उकारः (श्नोः एव अन्तिमवर्णः) | अतः अङ्गम् अनदन्तम् इति | अदादौ विकरणप्रत्ययस्तु नास्त्येव; अदादौ धातुः एव अङ्गम् अतः धातोः यः अन्तिमवर्णः, स एव अङ्गस्यापि | अदादौ अस्-धातुः सकारान्तम् (अतः अङ्गमपि सकारान्तं), पा-धातुः आकारान्तम् (अतः अङ्गमपि आकारान्तं), यु-धातुः उ-कारान्तम् (अतः अङ्गमपि उकारान्तम्) | अदादौ यथा धातुः तथा अङ्गम् | अपि च अदादौ अकारान्तधातवः न सन्त्येव, अतः सर्वाणि अङ्गानि अनदन्तानि | अत एव अदादिगणः द्वितीयगणसमूहे वर्तते | अदादिगणः द्वितीयगणसमूहे अस्ति, अतः तिङ्-प्रत्ययाः तत्रत्याः एव | अस्मिन् पाठे पुनः द्वितीयगणसमूहस्य तिङ्-प्रत्ययाः दत्ताः |
पूर्वमेव अस्माभिः ज्ञातं यत् सार्वधातुकलकारेषु क्रियापदस्य निर्माणार्थं त्रीणि सोपानानि सन्ति—
१. विकरणप्रत्यय-निमित्तकम् अङ्गकार्यम्, तदा धातु-विकरणप्रत्यययोः मेलनम्
२. तिङ्प्रत्यय-सिद्धिः
३. तिङ्प्रत्यय-निमित्तकम् अङ्गकार्यं, तदा अङ्ग-तिङ्प्रत्यययोः मेलनम्
१. विकरणप्रत्यय-निमित्तकम् अङ्गकार्यम्, तदा धातु-विकरणप्रत्यययोः मेलनम्
कुत्रापि किमपि कार्यं नास्ति यतः शप्-विकरणप्रत्ययस्य लुक् भवति अतः शप् न दृश्यते न वा अङ्गकार्यस्य निमित्तं भवति |
२. तिङ्प्रत्यय-सिद्धिः
अदादिगणे अङ्गम् अनदन्तम्, अतः अनदन्ताङ्गानां कृते सिद्ध-तिङ्प्रत्ययाः भवन्ति |
परस्मैपदम् | आत्मनेपदम् | |||||
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लट्-लकारः | ||||||
ति | तः | अन्ति | ते | आते | अते | |
सि | थः | थ | से | आथे | ध्वे | |
म | वः | मः | ए | वहे | महे | |
लोट्-लकारः | ||||||
तु, तात् | ताम् | अन्तु | ताम् | आताम् | अताम् | |
हि, तात् | तम् | त | स्व | आथाम् | ध्वम् | |
आनि | आव | आम | ऐ | आवहै | आमहै | |
लङ्-लकारः | ||||||
त् | ताम् | अन् | त | आताम् | अत | |
स् | तम् | त | थाः | आथाम् | ध्वम् | |
अम् | व | म | इ | वहि | महि | |
विधिलिङ्-लकारः | ||||||
यात् | याताम् | युः | ईत | ईयाताम् | ईरन् | |
याः | यातम् | यात | ईथाः | ईयाथाम् | ईध्वम् | |
याम् | याव | याम | ईय | ईवहि | ईमहि | |