7---ArdhadhAtukaprakaraNam/14---halantadhAtUnAm-iDvyavasthA: Difference between revisions
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<big>अन्ये सर्वे दकारान्तधातवः सेटः |</big> |
<big>अन्ये सर्वे दकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया— '''खरि च''' (८.४.५५) ।</big> |
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<big>अन्ये सर्वे धकारान्तधातवः सेटः |</big> |
<big>अन्ये सर्वे धकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया— '''झषस्तथोर्धोऽधः''' (८.२.४०) = झष्-उत्तरस्य तकारथकारयोः स्थाने धकारादेशो भवति, धा-धातुं वर्जयित्वा | '''झलां जश् झशि''' (८.४.५३) = झलां स्थाने जशादेशो भवति झशि परे |</big> |
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<big>स्य-प्रत्यये परे '''खरि च''' (८.४.५५) ।</big> |
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<big>बुध्, बन्ध् (स्य-प्रत्यये परे)— '''एकाचो बशो भष् झषन्तस्य स्ध्वोः''' (८.२.३७) = धातोरवयवो यो झषन्त एकाच्, तस्य बशः भषादेशो भवति सकारे परे, ध्व-शब्दे परे, पदान्ते च |</big> |
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|<big>अलोप्स्यत् / अलोप्स्यत</big> |
|<big>अलोप्स्यत् / अलोप्स्यत</big> |
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|<big>तृप् |
|<big>तृप्<sup>१</sup></big> |
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|<big>तर्प्ता</big> |
|<big>तर्प्ता</big> |
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<big>अत्रप्स्यत्</big> |
<big>अत्रप्स्यत्</big> |
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|<big>दृप् |
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|<big>दर्प्ता</big> |
|<big>दर्प्ता</big> |
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<big>अद्रप्स्यत्</big> |
<big>अद्रप्स्यत्</big> |
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|<big>सृप् |
|<big>सृप्<sup>१</sup></big> |
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|<big>सर्प्ता</big> |
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<big>१) तृप्, दृप्, सृप् एते त्रयः धातवः अनुदात्ताः अतः अनिटः; अनिटः च ऋदुपधाः च इत्यतः विकल्पेन तेषाम् अमागमो भवति | अधस्थसूत्रद्वयं दृश्यताम्—</big> |
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'''एकाच उपदेशेऽनुदात्तात्''' (७.२.१०) = यः औपदेशिकधातुः एकाच् अपि अनुदात्तः अपि अस्ति, तस्मात् विहितस्य प्रत्ययस्य इडागमो न भवति |</big> |
'''एकाच उपदेशेऽनुदात्तात्''' (७.२.१०) = यः औपदेशिकधातुः एकाच् अपि अनुदात्तः अपि अस्ति, तस्मात् विहितस्य प्रत्ययस्य इडागमो न भवति |</big> |
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<big>'''अनुदात्तस्य चर्दुपधस्यान्यतरस्याम्''' (६.१.५९) = उपदेशे अनुदात्तः यः ऋदुपधः तस्य अम्-आगमः विकल्पेन भवति झलादौ अकिति प्रत्यये परे |</big> |
<big>'''अनुदात्तस्य चर्दुपधस्यान्यतरस्याम्''' (६.१.५९) = उपदेशे अनुदात्तः यः ऋदुपधः तस्य अम्-आगमः विकल्पेन भवति झलादौ अकिति प्रत्यये परे | षड् धातवः—तृप्, दृप्, सृप्, मृश्, स्पृश्, कृष् । '''इको यणचि''' (६.१.७६) ।</big> |
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<big>अन्ये सर्वे भकारान्तधातवः सेटः |</big> |
<big>अन्ये सर्वे भकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया— '''झषस्तथोर्धोऽधः''' (८.२.४०) = झष्-उत्तरस्य तकारथकारयोः स्थाने धकारादेशो भवति, धा-धातुं वर्जयित्वा | '''झलां जश् झशि''' (८.४.५३) = झलां स्थाने जशादेशो भवति झशि परे |</big> |
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<big>स्य-प्रत्यये परे '''खरि च''' (८.४.५५) ।</big> |
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अन्ये सर्वे मकारान्तधातवः सेटः |</big> |
अन्ये सर्वे मकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया—'''नश्चापदान्तस्य''' '''झलि''' (८.३.२४), '''अनुस्वारस्य''' '''ययि''' '''परसवर्णः''' (८.४.५८) ।</big> |
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|<big>अरोक्ष्यत्</big> |
|<big>अरोक्ष्यत्</big> |
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|<big>क्रुश्</big> |
|<big>क्रुश्<sup>१</sup></big> |
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|<big>क्रोष्टा</big> |
|<big>क्रोष्टा</big> |
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|<big>क्रोष्टुम्</big> |
|<big>क्रोष्टुम्</big> |
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|<big>अद्रक्ष्यत्</big> |
|<big>अद्रक्ष्यत्</big> |
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|<big>मृश् |
|<big>मृश्<sup>२</sup></big> |
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|<big>मर्ष्टा</big> |
|<big>मर्ष्टा</big> |
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<big>अम्रक्ष्यत्</big> |
<big>अम्रक्ष्यत्</big> |
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|<big>स्पृश् |
|<big>स्पृश्<sup>२</sup></big> |
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|<big>स्पर्ष्टा</big> |
|<big>स्पर्ष्टा</big> |
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<big>अन्ये सर्वे शकारान्तधातवः सेटः |</big> |
<big>अन्ये सर्वे शकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया—'''व्रश्चभ्रस्जसृजमृजयजराजभ्राजच्छशां षः''' (८.२.३६), '''ष्टुना ष्टुः''' (८.४.४१) ।</big> |
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<big>१) दृश्— '''सृजिदृशोर्झल्यमकिति''' (६.१.५८) = सृज विसर्गे, दृशिर्प्रेक्षणे इत्येतयोः धात्वोः झलादावकिति प्रत्यये परतः अमागमो भवति ।</big> <big>'''इको यणचि''' (६.१.७६) = इकः स्थाने यण्-आदेशः स्यात् अचि परे संहितायां विषये |</big> |
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२) <big>मृश्, स्पृश् एतौ द्वौ धातू अनुदात्तौ अतः अनिटौ; अनिटौ च ऋदुपधौ च इत्यतः विकल्पेन तयोः अमागमो भवति | अधस्थसूत्रद्वयं दृश्यताम्—</big> |
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'''एकाच उपदेशेऽनुदात्तात्''' (७.२.१०) = यः औपदेशिकधातुः एकाच् अपि अनुदात्तः अपि अस्ति, तस्मात् विहितस्य प्रत्ययस्य इडागमो न भवति |</big> |
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<big>'''अनुदात्तस्य चर्दुपधस्यान्यतरस्याम्''' (६.१.५९) = उपदेशे अनुदात्तः यः ऋदुपधः तस्य अम्-आगमः विकल्पेन भवति झलादौ अकिति प्रत्यये परे | षड् धातवः—तृप्, दृप्, सृप्, मृश्, स्पृश्, कृष् । '''इको यणचि''' (६.१.७६) ।</big> |
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अन्ये सर्वे षकारान्तधातवः सेटः |</big> |
अन्ये सर्वे षकारान्तधातवः सेटः |</big> |
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<big>प्रक्रिया— '''ष्टुना ष्टुः''' (८.४.४१) ।</big><big><br /></big> |
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<big>१३. एकाच्-सकारान्तधातवः - द्वौ धातू अनिटौ |</big> |
<big>१३. एकाच्-सकारान्तधातवः - द्वौ धातू अनिटौ |</big> |