7---ArdhadhAtukaprakaraNam/16---luT-lakAraH: Difference between revisions
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=== <big>अद्यतनकालः</big> === |
=== <big>'''अद्यतनकालः'''</big> === |
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<big>गतरात्रेः अन्तिमप्रहरात् आगम्यमानरात्रेः प्रथमप्रहरपर्यन्तम् अद्यतनकालः इत्युच्यते | न विद्यते अद्यतनं यस्मिन् अनद्यतनम् | अनद्यतनभविष्यत्कालस्य विवक्षायां धातुभ्यः लुट्-लकारो विधीयते | यथा 'श्वः देवदत्तः कर्ता' | 'देवदत्तः श्वः भोक्ता' | यदा अद्यतनकालश्च अनद्यतनकालश्च इति अवधिद्वयं विवक्षायाम् अन्तर्भूतं, तदा लृट्-लकारः उपयुज्यते— 'अद्य वा श्वः देवदत्तः करिष्यति’; 'अद्य वा श्वः वा देवदत्तः खादिष्यति' इति |</big> |
<big>गतरात्रेः अन्तिमप्रहरात् आगम्यमानरात्रेः प्रथमप्रहरपर्यन्तम् अद्यतनकालः इत्युच्यते | न विद्यते अद्यतनं यस्मिन् अनद्यतनम् | अनद्यतनभविष्यत्कालस्य विवक्षायां धातुभ्यः लुट्-लकारो विधीयते | यथा 'श्वः देवदत्तः कर्ता' | 'देवदत्तः श्वः भोक्ता' | यदा अद्यतनकालश्च अनद्यतनकालश्च इति अवधिद्वयं विवक्षायाम् अन्तर्भूतं, तदा लृट्-लकारः उपयुज्यते— 'अद्य वा श्वः देवदत्तः करिष्यति’; 'अद्य वा श्वः वा देवदत्तः खादिष्यति' इति |</big> |
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=== <big><u>लुटः व्यवहारः कुत्र</u></big> === |
=== <big><u>'''लुटः व्यवहारः कुत्र'''</u></big> === |
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<big>'''अनद्यतने लुट्''' (३.३.१५) इत्यस्य प्रसङ्गे काशिकायां दत्तमस्ति—</big> |
<big>'''अनद्यतने लुट्''' (३.३.१५) इत्यस्य प्रसङ्गे काशिकायां दत्तमस्ति—</big> |
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<big>आहत्य 'अनद्यतन' इति श्वस्तन्याः च ह्यस्तन्याः संज्ञा | परञ्च लोके तद्विहायोपि प्रयोगः भवति इति दृष्ट्वा नागेशः मध्यमार्गं दत्तवान् | अनेन च लङि मासात् पूर्वम् अपठत् इति व्यवहारः सम्भवति यत्र ह्योभावो वर्तते,यत्र "ह्यः एव पठितवान्" इति अनुभूयते | एवमेव लुटि भविष्यत्कालेऽपि |</big> |
<big>आहत्य 'अनद्यतन' इति श्वस्तन्याः च ह्यस्तन्याः संज्ञा | परञ्च लोके तद्विहायोपि प्रयोगः भवति इति दृष्ट्वा नागेशः मध्यमार्गं दत्तवान् | अनेन च लङि मासात् पूर्वम् अपठत् इति व्यवहारः सम्भवति यत्र ह्योभावो वर्तते,यत्र "ह्यः एव पठितवान्" इति अनुभूयते | एवमेव लुटि भविष्यत्कालेऽपि |</big> |
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=== <big><u>लृटः व्यवहारः कुत्र ?</u></big> === |
=== <big><u>'''लृटः व्यवहारः कुत्र ?'''</u></big> === |
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=== <u><big>पञ्च उपाङ्गानि</big></u> === |
=== <u><big>'''पञ्च उपाङ्गानि'''</big></u> === |
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==== <big>१) प्रत्ययादेशः</big> ==== |
==== <big>'''१) प्रत्ययादेशः'''</big> ==== |
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===== <u><big>परस्मैपदिसंज्ञकतिङ्प्रत्यय-सिद्धिः</big></u> ===== |
===== <u><big>'''परस्मैपदिसंज्ञकतिङ्प्रत्यय-सिद्धिः'''</big></u> ===== |
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===== <u><big>आत्मनेपदिसंज्ञकतिङ्प्रत्यय-सिद्धिः</big></u> ===== |
===== <u><big>'''आत्मनेपदिसंज्ञकतिङ्प्रत्यय-सिद्धिः'''</big></u> ===== |
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=== <big> परस्मैपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः</big> === |
=== <big> '''परस्मैपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः'''</big> === |
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<big> </big> |
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=== <big>आत्मनेपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः</big> === |
=== <big>'''आत्मनेपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः'''</big> === |
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=== <big>परस्मैपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः सेट्-धातूनाम्</big> === |
=== <big>'''परस्मैपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः सेट्-धातूनाम्'''</big> === |
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=== <big>आत्मनेपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः सेट्-धातूनाम्</big> === |
=== <big>'''आत्मनेपदे सिद्धतिङ्प्रत्ययाः सेट्-धातूनाम्'''</big> === |
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==== <big> उदाहरणार्थं दा-धातुः</big> ==== |
==== <big> '''उदाहरणार्थं दा-धातुः'''</big> ==== |
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===== <big>परस्मैपदे</big> ===== |
===== <big>'''परस्मैपदे'''</big> ===== |
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===== <big>आत्मनेपदे</big> ===== |
===== <big>'''आत्मनेपदे'''</big> ===== |
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==== <big>२) <u>धात्वादेशः</u></big> ==== |
==== <big>'''२) <u>धात्वादेशः</u>'''</big> ==== |
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==== <big>३) <u>इडागमः</u></big> ==== |
==== <big>'''३) <u>इडागमः</u>'''</big> ==== |
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==== <big>४) <u>अतिदेशः</u></big> ==== |
==== <big>'''४) <u>अतिदेशः</u>'''</big> ==== |
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=== <u><big>सामान्यम् अङ्गकार्यम्</big></u> === |
=== <u><big>'''सामान्यम् अङ्गकार्यम्'''</big></u> === |
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==== <u><big>'''इगन्तधातवः'''</big></u> ==== |
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<big>नी + लुट् → नी + तास् + तिप् → नी + ता → '''सार्वधातुकार्धधातुकयोः''' (७.३.८४) → नेता</big> |
<big>नी + लुट् → नी + तास् + तिप् → नी + ता → '''सार्वधातुकार्धधातुकयोः''' (७.३.८४) → नेता</big> |
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==== <u><big>लघूपधधातवः</big></u> ==== |
==== <u><big>'''लघूपधधातवः'''</big></u> ==== |
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<big>लिख् → लिख् + इता → '''पुगन्तलघूपधस्य च''' (७.३.८६) → लेख् + इता → लेखिता</big> |
<big>लिख् → लिख् + इता → '''पुगन्तलघूपधस्य च''' (७.३.८६) → लेख् + इता → लेखिता</big> |
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Line 1,102: | Line 1,102: | ||
<big>उद्विज् + इता → '''पुगन्तलघूपधस्य च''' (७.३.८६) इत्यनेन गुणप्रसक्तिः → '''विज इट्''' (१.२.२) इत्यनेन तुदादिगणीय-विज्-धातुतः सर्वे विधीयमानाः सेट्-प्रत्ययाः ङिद्वत् → तास्-प्रत्ययः अत्र इडादिः → '''क्क्ङिति च''' (१.१.५) इत्यनेन गुणनिषेधः → उद्विजिता</big> |
<big>उद्विज् + इता → '''पुगन्तलघूपधस्य च''' (७.३.८६) इत्यनेन गुणप्रसक्तिः → '''विज इट्''' (१.२.२) इत्यनेन तुदादिगणीय-विज्-धातुतः सर्वे विधीयमानाः सेट्-प्रत्ययाः ङिद्वत् → तास्-प्रत्ययः अत्र इडादिः → '''क्क्ङिति च''' (१.१.५) इत्यनेन गुणनिषेधः → उद्विजिता</big> |
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=== <big> लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः इदं वर्गीकरणम् अनुसृत्य चिन्तनीयम्</big> === |
=== <big> '''लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः इदं वर्गीकरणम् अनुसृत्य चिन्तनीयम्'''</big> === |
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<big>सामान्यम् अङ्गकार्यं मनसि निधाय सर्वेभ्यः धातुभ्यः लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः इदं वर्गीकरणम् अनुसृत्य चिन्तनीयम्—</big> |
<big>सामान्यम् अङ्गकार्यं मनसि निधाय सर्वेभ्यः धातुभ्यः लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः इदं वर्गीकरणम् अनुसृत्य चिन्तनीयम्—</big> |
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==== <big>१) <u>भ्वादिगणात् आरभ्य क्र्यादिगण-पर्यन्तं सर्वेषाम् अजन्तधातूनां लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः</u></big> ==== |
==== <big>'''१) <u>भ्वादिगणात् आरभ्य क्र्यादिगण-पर्यन्तं सर्वेषाम् अजन्तधातूनां लुट्-लकारस्य रूपसिद्धिः</u>'''</big> ==== |
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===== <u><big>आकारान्ताः च एजन्ताः च धातवः</big></u> ===== |
===== <u><big>'''आकारान्ताः च एजन्ताः च धातवः'''</big></u> ===== |
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====== <u><big>सामान्याः आकारान्तधातवः</big></u> ====== |
====== <u><big>'''सामान्याः आकारान्तधातवः'''</big></u> ====== |
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====== <u><big>दरिद्रा-धातुः</big></u> ====== |
====== <u><big>'''दरिद्रा-धातुः'''</big></u> ====== |
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====== <u><big>एजन्तधातवः</big></u> ====== |
====== <u><big>'''एजन्तधातवः'''</big></u> ====== |
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===== <u><big>इकारान्तधातवः</big></u> ===== |
===== <u><big>'''इकारान्तधातवः'''</big></u> ===== |
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====== <u><big>सामान्याः इकारान्तधातवः</big></u> ====== |
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===== <u><big>जकारान्तधातवः</big></u> ===== |
===== <u><big>'''जकारान्तधातवः'''</big></u> ===== |
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====== <u><big>सृज्-धातुः</big></u> ====== |
====== <u><big>'''सृज्-धातुः'''</big></u> ====== |
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====== <big> तुदादिगणीय-विज्-धातुः</big> ====== |
====== <big> '''तुदादिगणीय-विज्-धातुः'''</big> ====== |
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<big>'''विज इट्''' (१.२.२) = तुदादिगणीय-विज्-धातुतः ('ओविजी भयचलनयोः' इत्यस्मात्) सर्वे विधीयमानाः इडादि-प्रत्ययाः ङिद्वत् भवन्ति | उद्विजिता, उद्विजितुम्, उद्विजितव्यम् | इटिति किम् ? उद्वेजनम्, उद्वेजनीयम् | विजः पञ्चम्यन्तम्, इट्-प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''गाङ्कुटादिभ्योऽञ्णिन्ङित्''' (१.२.१) इत्यस्मात् '''ङित्''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | अनुवृत्ति-सहितं सूत्रम्— '''विजः इट् ङित्''' |</big> |
<big>'''विज इट्''' (१.२.२) = तुदादिगणीय-विज्-धातुतः ('ओविजी भयचलनयोः' इत्यस्मात्) सर्वे विधीयमानाः इडादि-प्रत्ययाः ङिद्वत् भवन्ति | उद्विजिता, उद्विजितुम्, उद्विजितव्यम् | इटिति किम् ? उद्वेजनम्, उद्वेजनीयम् | विजः पञ्चम्यन्तम्, इट्-प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''गाङ्कुटादिभ्योऽञ्णिन्ङित्''' (१.२.१) इत्यस्मात् '''ङित्''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | अनुवृत्ति-सहितं सूत्रम्— '''विजः इट् ङित्''' |</big> |
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==== <u><big>तवर्गान्तधातवः</big></u> ==== |
==== <u><big>'''तवर्गान्तधातवः'''</big></u> ==== |
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===== <big> तकारान्ताः थकारान्ताः च धातवः सर्वे सेटः</big> ===== |
===== <big> '''तकारान्ताः थकारान्ताः च धातवः सर्वे सेटः'''</big> ===== |
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<big>तकारान्ताः थकारान्ताः च धातवः सर्वे सेटः |</big> |
<big>तकारान्ताः थकारान्ताः च धातवः सर्वे सेटः |</big> |
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