9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/08---anunAsikaH-anusvAraH-cetyanayorbhedaH-2: Difference between revisions
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'''विसर्जनीयस्य सः''' (८.३.३४, लघु० ९६) = खरि परे विसर्जनीयस्य स्थाने सकारादेशो भवति | विसर्जनीयस्य |
'''विसर्जनीयस्य सः''' (८.३.३४, लघु० ९६) = खरि परे विसर्जनीयस्य स्थाने सकारादेशो भवति | विसर्जनीयस्य षष्ठ्यन्तं, सः प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''खरवसानयोर्विसर्जनीयः''' इत्यस्मात् '''खरि''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | अनुवृत्ति-सहितं सूत्रमेवम्— '''खरि विसर्जनीयस्य सः संहितायाम्''' इति |</big> |
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