9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/12---ChAtraiH-viracitAni-karapatrANi/02---siddha-ting-pratyayAnAM-niShpAdanam: Difference between revisions
9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/12---ChAtraiH-viracitAni-karapatrANi/02---siddha-ting-pratyayAnAM-niShpAdanam
Content added Content deleted
Vamsisudha (talk | contribs) No edit summary |
(Deleted the table created by me) Tags: Replaced Visual edit |
||
Line 2: | Line 2: | ||
<googlespreadsheet width="1126" height="800">e/2PACX-1vSgW_al8dyBtsEZB4kVkftxulw1aoQnNnUPX1yMzpHNeyTeQa3_mrZa4sZhD0LAeUggJqAXFrPvhJPN/pubhtml?</googlespreadsheet> |
<googlespreadsheet width="1126" height="800">e/2PACX-1vSgW_al8dyBtsEZB4kVkftxulw1aoQnNnUPX1yMzpHNeyTeQa3_mrZa4sZhD0LAeUggJqAXFrPvhJPN/pubhtml?</googlespreadsheet> |
||
{| class="wikitable" |
|||
| colspan="10" |<big>'''सिद्ध-तिङ्प्रत्ययाः - भव्या रामस्वामी'''</big> |
|||
|- |
|||
! colspan="9" |<big>परस्मैपदि लट्</big> |
|||
!'''<big>सूत्राणि</big>''' |
|||
|- |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
| |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |तिप् |
|||
| rowspan="2" |हलन्त्यम् (१.३.३) |
|||
| rowspan="2" |ति |
|||
| rowspan="2" |तस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
| rowspan="2" |तः |
|||
| rowspan="2" |झि |
|||
| rowspan="2" |झोऽन्तः > अन्त् + इ |
|||
जुहोत्यादिगणे अदभ्यास्तात् |
|||
(७.१.४) > अत् + इ |
|||
| rowspan="2" |अन्ति |
|||
(अति ) |
|||
|<nowiki>झोऽन्तः (७.१.३) — अङ्गस्य प्रत्ययस्य झः अन्तः |</nowiki> |
|||
|- |
|||
! |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |सिप् |
|||
| rowspan="2" |हलन्त्यम् (१.३.३) |
|||
| rowspan="2" |सि |
|||
| rowspan="2" |थस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
| rowspan="2" |थः |
|||
| rowspan="2" |थ |
|||
| rowspan="2" | |
|||
| rowspan="2" |थ |
|||
| |
|||
|- |
|||
| |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |मिप् |
|||
| rowspan="2" |हलन्त्यम् (१.३.३) |
|||
| rowspan="2" |मि |
|||
| rowspan="2" |वस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
| rowspan="2" |वः |
|||
| rowspan="2" |मस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
| rowspan="2" |मः |
|||
|अतो दीर्घो यञि (७.३.१०१) — अतः अङ्गस्य दीर्घः |
|||
यञि सार्वधातुके | |
|||
|- |
|||
|<nowiki>-</nowiki> |
|||
|- |
|||
! colspan="9" |<big>परस्मैपदि लोट्</big> |
|||
<big>(लोटो लङ्वत् (३.४.८५), इतश्च (३.४.१००) )</big> |
|||
!'''<big>लोटो लङ्वत् (३.४.८५) —</big>''' |
|||
'''<big>लोटः लङ्वत् |</big>''' |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |तिप् |
|||
| rowspan="2" |इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > एरुः |
|||
(३.४.८६) |
|||
तुह्योस्तातङ्ङाशिष्यन्यतरस्याम् |
|||
(७.१.३५) |
|||
| rowspan="2" |तु/ तात् |
|||
| rowspan="2" |तस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) प्रबाध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |ताम् |
|||
| rowspan="2" |झि |
|||
| rowspan="2" |झोऽन्तः > अन्त् + इ > इतश्च |
|||
(३.४.१००) प्रबाध्य अपवादेन > |
|||
एरुः (३.४.८६) > अन्त् + उ |
|||
जुहोत्यादिगणे अदभ्यास्तात् |
|||
(७.१.४) > अत् + इ > इतश्च |
|||
(३.४.१००) प्रबाध्य अपवादेन > |
|||
एरुः (३.४.८६) > अत् + उ |
|||
| rowspan="2" |अन्तु |
|||
(अतु ) |
|||
|<nowiki>एरुः (३.४.८६) — लोटः लस्य एः उः |</nowiki> |
|||
|- |
|||
|सेर्ह्यपिच्च (३.४.८७) — लोटः लस्य सेः हि अपित् च |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |सिप् |
|||
|इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > एरुः |
|||
(३.४.८६) प्रबाध्य> सेर्ह्यपिच्च |
|||
(३.४.८७) > अतो हेः (६.४.१०५) |
|||
तुह्योस्तातङ्ङाशिष्यन्यतरस्याम् |
|||
(७.१.३५) |
|||
|0/ तात् |
|||
| rowspan="2" |थस् |
|||
| rowspan="2" |न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) प्रबाध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |तम् |
|||
| rowspan="2" |थ |
|||
| rowspan="2" |तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |त |
|||
|<nowiki>अतो हेः (६.४.१०५) — अतः अङ्गात् हेः लुक् |</nowiki> |
|||
|- |
|||
|इतश्च (३.४.१००), एरुः (३.४.८६) |
|||
प्रबध्य > सेर्ह्यपिच्च (३.४.८७) |
|||
तुह्योस्तातङ्ङाशिष्यन्यतरस्याम् |
|||
(७.१.३५) |
|||
|हि/ तात् |
|||
|<nowiki>मेर्निः (३.४.८९) — लोटः लस्य मेः निः |</nowiki> |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |मिप् |
|||
| rowspan="2" |आडुत्तमस्य पिच्च (३.४.९२) > आ + / |
|||
> इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य> |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
प्रबाध्य > एरुः (३.४.८६) प्रबाध्य > |
|||
मेर्निः (३.४.८९) > नि > आडुत्तमस्य |
|||
पिच्च (३.४.९२) > आ + नि |
|||
| rowspan="2" |आनि |
|||
| rowspan="2" |वस् |
|||
| rowspan="2" |आडुत्तमस्य पिच्च (३.४.९२) > आ + |
|||
/ > न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) प्रबाध्य |
|||
अपवादेन > नित्यंङितः (३.४.९९) > |
|||
आ + व |
|||
| rowspan="2" |आव |
|||
| rowspan="2" |मस् |
|||
| rowspan="2" |आडुत्तमस्य पिच्च (३.४.९२) आ + |
|||
/ > न विभक्तौ तुस्माः (१.३.४) |
|||
प्रबाध्य अपवादेन > नित्यं ङितः |
|||
(३.४.९९) > आ + म |
|||
| rowspan="2" |आम |
|||
|आडुत्तमस्य पिच्च (३.४.९२) — लोटः लस्य |
|||
उत्तमस्य आट् पित् च | |
|||
|- |
|||
|तुह्योस्तातङ्ङाशिष्यन्यतरस्याम् (७.१.३५) — |
|||
अङ्गस्य तुह्योः तातङ् आशिषि अन्यतरस्याम् | |
|||
|- |
|||
! colspan="9" |<big>परस्मैपदि लङ्</big><big>(इतश्च (३.४.१००) )</big> |
|||
| |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |तिप् |
|||
| rowspan="2" |इतश्च (३.४.१००) |
|||
| rowspan="2" |त् |
|||
| rowspan="2" |तस् |
|||
| rowspan="2" |तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |ताम् |
|||
| rowspan="2" |झि |
|||
| rowspan="2" |इतश्च (३.४.१००) > झ् > झोऽन्तः |
|||
(७.१.३) > अन्त् > संयोगान्तस्य |
|||
लोपः (८.२.२३) |
|||
| rowspan="2" |अन् |
|||
|इतश्च (३.४.१००) — ङितः लस्य इतः परस्मैपदस्य |
|||
लोपः | |
|||
|- |
|||
|तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१)— ङितः लस्य |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः | |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |सिप् |
|||
| rowspan="2" |इतश्च (३.४.१००) |
|||
| rowspan="2" |स् |
|||
| rowspan="2" |थस् |
|||
| rowspan="2" |तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |तम् |
|||
| rowspan="2" |थ |
|||
| rowspan="2" |तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |त |
|||
|नित्यं ङितः (३.४.९९) — ङितः लस्य सः उत्तमस्य |
|||
नित्यं लोपः | न विभक्तौ तुस्मा: - प्रबाध्य । |
|||
|- |
|||
|संयोगान्तस्य लोपः (८.२.२३) - संयोगान्तस्य पदस्य |
|||
लोपः| |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |मिप् |
|||
| rowspan="2" |इतश्च (३.४.१००) प्रबध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
| rowspan="2" |अम् |
|||
| rowspan="2" |वस् |
|||
| rowspan="2" |नित्यं ङितः (३.४.९९) |
|||
| rowspan="2" |व |
|||
| rowspan="2" |मस् |
|||
| rowspan="2" |नित्यं ङितः (३.४.९९) |
|||
| rowspan="2" |म |
|||
| |
|||
|- |
|||
| |
|||
|- |
|||
! colspan="9" |परस्मैपदि विधिलिङ् |
|||
(यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) , लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९), इतश्च (३.४.१००) ) |
|||
( अदन्तङ्गानाम् - अतो येयः (७.२.८०)) |
|||
| |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |तिप् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + ति > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +ति |
|||
> इतश्च (३.४.१००)> या+ त् > अतो |
|||
येयः (७.२.८०) > इय् + त् > लोपो |
|||
व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त् |
|||
|इत् |
|||
| rowspan="2" |तस् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + ताम् > अतो येयः |
|||
७.२.८०) > इय् + ताम् > लोपो |
|||
व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + ताम् |
|||
|इताम् |
|||
| rowspan="2" |झि |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + |
|||
उस् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् |
|||
+ उस् > इयुस् > ससजुषो रुः |
|||
(८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
> इयुः |
|||
|इयुः |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) - लिङः लस्य सीयुट् |
|||
|- |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + ति > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +ति |
|||
> इतश्च (३.४.१००)> या+ त् |
|||
|यात् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + ताम् |
|||
|याताम् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + |
|||
उस् > उस्यपदान्तात् (६.१.९५) > |
|||
युस् > ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
> युः |
|||
|युः |
|||
|यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३)— लिङः लस्य |
|||
परस्मैपदानां यासुट् उदात्तः ङित् च | |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |सिप् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +सि |
|||
> इतश्च (३.४.१००)> या + स् > अतो |
|||
येयः ७.२.८०) > इय् + स् > लोपो |
|||
व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + स् > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > |
|||
इः |
|||
|इः |
|||
| rowspan="2" |थस् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + तम् > अतो येयः |
|||
७.२.८०) > इय् + तम् > लोपो |
|||
व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + तम् |
|||
|इतम् |
|||
| rowspan="2" |थ |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + थ > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ थ > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + त > अतो येयः |
|||
७.२.८०) > इय् + त > लोपो |
|||
व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त |
|||
|इत |
|||
|लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९)— अङ्गात् |
|||
सार्वधातुकस्यलिङः अनन्तस्य सः लोपः | |
|||
|- |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +सि |
|||
> इतश्च (३.४.१००)> या + स् > |
|||
ससजुषो रुः (८.२.६६), |
|||
खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
|||
> याः |
|||
|याः |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + तम् |
|||
|यातम् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + थ > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ थ > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + त |
|||
|यात |
|||
|अतो येयः (७.२.८०)— अतः अङ्गात् सार्वधातुकस्य |
|||
या (इति स्थाने) इयः | |
|||
|- |
|||
| rowspan="2" |मिप् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) |
|||
> या + अम् > अतो येयः ७.२.८०) > |
|||
इय् + अम् |
|||
|इयम् |
|||
| rowspan="2" |वस् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + वस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
वस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > या + |
|||
व > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + व |
|||
> लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + व |
|||
|इव |
|||
| rowspan="2" |मस् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ मस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > |
|||
या + म > अतो येयः ७.२.८०) > |
|||
इय् + म > लोपो व्योर्वलि |
|||
(६.१.६६) > इ + म |
|||
|इम |
|||
|<nowiki>झेर्जुस् (३.४.१०८)— लिङः लस्य झेः जुस् |</nowiki> |
|||
|- |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
|||
(३.४.१०१) > या + अम् |
|||
|य़ाम् |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + वस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
वस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > |
|||
या + व |
|||
|याव |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ मस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > |
|||
या + म |
|||
|याम |
|||
|उस्यपदान्तात् (६.१.९५)— उसि अचि अपदान्तात् |
|||
आत् एकः पूर्वपरयोः पररूपं संहितायाम् | |
|||
|} |
Revision as of 06:43, 28 May 2021
09 - अन्ये व्याकरण-सम्बद्ध-विषयाः > 12 - छात्रैः विरचितानि करपत्राणि >