9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/15---sthAnivattvAtideshaH: Difference between revisions
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<big>'''अनुदात्तङित आत्मनेपदम्''' (१.३.१२) = यस्य धातोः अनुदात्तस्वरस्य ङकारस्य च इत्-संज्ञा भवति, सः धातुः आत्मनेपदी | अनुदात्तश्च ङ् च अनुदात्तङौ, तौ इतौ यस्य सः अनुदात्तङित् द्वन्द्वगर्भ-बहुव्रीहिः, तस्मात् अनुदात्तङितः | अनुदात्तङितः पञ्चम्यन्तम्, आत्मनेपदं प्रथमान्तम्, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''भूवादयो धातवः''' (१.३.१) इत्यस्मात् '''धातोः''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | टीकाकाराः सूचयन्ति यत् '''लस्य''' इति पदम् आयाति आक्षेपेण यतोहि तस्य अर्थः निहितः '''आत्मनेपदम्''' इत्यस्मिन् | अनुवृत्ति-सहितसूत्रम्— '''अनुदात्तङितः धातोः लस्य आत्मनेपदम्''' |</big> |
<big>'''अनुदात्तङित आत्मनेपदम्''' (१.३.१२) = यस्य धातोः अनुदात्तस्वरस्य ङकारस्य च इत्-संज्ञा भवति, सः धातुः आत्मनेपदी | अनुदात्तश्च ङ् च अनुदात्तङौ, तौ इतौ यस्य सः अनुदात्तङित् द्वन्द्वगर्भ-बहुव्रीहिः, तस्मात् अनुदात्तङितः | अनुदात्तङितः पञ्चम्यन्तम्, आत्मनेपदं प्रथमान्तम्, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''भूवादयो धातवः''' (१.३.१) इत्यस्मात् '''धातोः''' इत्यस्य अनुवृत्तिः | टीकाकाराः सूचयन्ति यत् '''लस्य''' इति पदम् आयाति आक्षेपेण यतोहि तस्य अर्थः निहितः '''आत्मनेपदम्''' इत्यस्मिन् | अनुवृत्ति-सहितसूत्रम्— '''अनुदात्तङितः धातोः लस्य आत्मनेपदम्''' |</big> |
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<big>परिशिष्टम्</big> |
<big>'''<u>परिशिष्टम्</u>'''</big> |
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