9---anye-vyAkaraNa-sambaddha-viShayAH/12---ChAtraiH-viracitAni-karapatrANi/02---siddha-ting-pratyayAnAM-niShpAdanam: Difference between revisions
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| rowspan="2" |तिप् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + ति > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + ति > इतश्च (३.४.१००)> या+ त् > अतो येयः (७.२.८०) > इय् + त् > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + ति > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +ति |
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> इतश्च (३.४.१००)> या+ त् > अतो |
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येयः (७.२.८०) > इय् + त् > लोपो |
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व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त् |
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|इत् |
|इत् |
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| rowspan="2" |तस् |
| rowspan="2" |तस् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + ताम् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + ताम् > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + ताम् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
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तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + ताम् > अतो येयः |
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७.२.८०) > इय् + ताम् > लोपो |
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व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + ताम् |
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|इताम् |
|इताम् |
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| rowspan="2" |झि |
| rowspan="2" |झि |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + उस् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + उस् > इयुस् > ससजुषो रुः (८.२.६६), खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > इयुः |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
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+ झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + |
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उस् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् |
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+ उस् > इयुस् > ससजुषो रुः |
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(८.२.६६), |
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खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
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> इयुः |
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|इयुः |
|इयुः |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) - लिङः लस्य सीयुट् |
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) - लिङः लस्य सीयुट् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + ति > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +ति |
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> इतश्च (३.४.१००)> या+ त् |
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|यात् |
|यात् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + ताम् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + तस् > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
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तस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + ताम् |
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|याताम् |
|याताम् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + उस् > उस्यपदान्तात् (६.१.९५) > युस् > ससजुषो रुः (८.२.६६), खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > युः |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + झि > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
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+ झि > झेर्जुस् (३.४.१०८) > या + |
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उस् > उस्यपदान्तात् (६.१.९५) > |
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युस् > ससजुषो रुः (८.२.६६), |
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खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
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> युः |
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|युः |
|युः |
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| |
|यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३)— लिङः लस्य |
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परस्मैपदानां यासुट् उदात्तः ङित् च | |
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| rowspan="2" |सिप् |
| rowspan="2" |सिप् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + सि > इतश्च (३.४.१००)> या + स् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + स् > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + स् > ससजुषो रुः (८.२.६६), खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > इः |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +सि |
|||
> इतश्च (३.४.१००)> या + स् > अतो |
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येयः ७.२.८०) > इय् + स् > लोपो |
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व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + स् > |
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ससजुषो रुः (८.२.६६), |
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खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > |
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इः |
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|इः |
|इः |
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| rowspan="2" |थस् |
| rowspan="2" |थस् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + तम् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + तम् > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + तम् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
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थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + तम् > अतो येयः |
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७.२.८०) > इय् + तम् > लोपो |
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व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + तम् |
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|इतम् |
|इतम् |
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| rowspan="2" |थ |
| rowspan="2" |थ |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + थ > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + थ > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + त > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + त > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + थ > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
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+ थ > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + त > अतो येयः |
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७.२.८०) > इय् + त > लोपो |
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व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + त |
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|इत |
|इत |
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| |
|लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९)— अङ्गात् सार्वधातुकस्य |
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लिङः अनन्तस्य सः लोपः | |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + सि > इतश्च (३.४.१००)> या + स् > ससजुषो रुः (८.२.६६), खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) > याः |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + सि > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या +सि |
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> इतश्च (३.४.१००)> या + स् > |
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ससजुषो रुः (८.२.६६), |
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खरवसानयोर्विसर्जनीयः (८.३.१५) |
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> याः |
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|याः |
|याः |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + तम् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + थस् > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
थस् > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + तम् |
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|यातम् |
|यातम् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + थ > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
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+ थ > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः |
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(३.४.१०१) > या + त |
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|यात |
|यात |
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| |
|अतो येयः (७.२.८०)— अतः अङ्गात् सार्वधातुकस्य |
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या (इति स्थाने) इयः | |
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| rowspan="2" |मिप् |
| rowspan="2" |मिप् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + अम् > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + अम् |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > |
|||
तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + अम् > अतो येयः ७.२.८०) > |
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इय् + अम् |
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|इयम् |
|इयम् |
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| rowspan="2" |वस् |
| rowspan="2" |वस् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + वस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + वस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > या + व > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + व > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + व |
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यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
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(३.४.१०३) > यास् + वस् > लिङः |
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सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
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वस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > या + |
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व > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + व |
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> लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + व |
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|इव |
|इव |
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| rowspan="2" |मस् |
| rowspan="2" |मस् |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
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|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + मस् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + मस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > या + म > अतो येयः ७.२.८०) > इय् + म > लोपो व्योर्वलि (६.१.६६) > इ + म |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ मस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > |
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या + म > अतो येयः ७.२.८०) > |
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इय् + म > लोपो व्योर्वलि |
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(६.१.६६) > इ + म |
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|इम |
|इम |
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|<nowiki>झेर्जुस् (३.४.१०८)— लिङः लस्य झेः जुस् |</nowiki> |
|<nowiki>झेर्जुस् (३.४.१०८)— लिङः लस्य झेः जुस् |</nowiki> |
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|- |
|- |
||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च (३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + अम् |
|||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मिप् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + |
|||
मिप् > इतश्च (३.४.१००) प्रबाध्य > तस्थस्थमिपां तान्तन्तामः (३.४.१०१) > या + अम् |
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|य़ाम् |
|य़ाम् |
||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + वस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या + वस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > या + व |
|||
|याव |
|याव |
||
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
|लिङः सीयुट् (३.४.१०२) प्रबाध्य > |
||
यासुट् परस्मैपदेषूदात्तो ङिच्च |
|||
(३.४.१०३) > यास् + मस् > लिङः |
|||
सलोपोऽनन्तस्य (७.२.७९) > या |
|||
+ मस् > नित्यं ङितः (३.४.९९) > |
|||
या + म |
|||
|याम |
|याम |
||
| |
|उस्यपदान्तात् (६.१.९५)— उसि अचि अपदान्तात् |
||
आत् एकः पूर्वपरयोः पररूपं संहितायाम् | |
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|} |
|} |
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