14---samAsaH/2B--avyayibhavasamasah-dvitiiyabhAgaH: Difference between revisions
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=== <big>'''यथाऽसादृश्ये''' (२.१.७)
Line 125:
=== <big>'''यावदवधारणे''' (२.१.८)
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=== <big>'''सुप् प्रतिना मात्रार्थे''' ( २.१.९)
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====<big>'''खरवसानयोर्विसर्जनीयः''' '''(८.३.१५)'''</big>====
<big>पदान्तस्य रेफस्य स्थाने विसर्गो भवति खरि परे अथवा अवसानावस्थायाम् | खर् च अवसानं च (तयोरितरेतरयोगद्वन्द्वः), खरवसाने, तयोः खरवसानयोः | खरवसानयोः सप्तम्यन्तं, विसर्जनीयः प्रथमान्तं, द्विपदमिदं सूत्रम् | '''रो रि''' (८.३.१४) इत्यस्मात् रोः इत्यस्य अनुवृत्तिः | '''पदस्य''' (८.१.१६) इत्यस्य अधिकारः | '''अलोऽन्त्यस्य''' (१.१.५२) इत्यनेन रेफान्तपदस्य न अपि तु पदान्तस्य रेफस्य स्थाने विसर्गादेशो भवति | अनुवृत्ति-सहितसूत्रं — '''खरवासनयोः पदस्य रः विसर्जनीयः संहितायाम् |'''</big>
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